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उत्पत्ति 42:12-24 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

12. उसने उन से कहा, नहीं नहीं, तुम इस देश की दुर्दशा देखने ही को आए हो।

13. उन्होंने कहा, हम तेरे दास बारह भाई हैं, और कनान देशवासी एक ही पुरूष के पुत्र हैं, और छोटा इस समय हमारे पिता के पास है, और एक जाता रहा।

14. तब यूसुफ ने उन से कहा, मैं ने तो तुम से कह दिया, कि तुम भेदिए हो;

15. सो इसी रीति से तुम परखे जाओगे, फिरौन के जीवन की शपथ, जब तक तुम्हारा छोटा भाई यहां न आए तब तक तुम यहां से न निकलने पाओगे।

16. सो अपने में से एक को भेज दो, कि वह तुम्हारे भाई को ले आए, और तुम लोग बन्धुवाई में रहोगे; इस प्रकार तुम्हारी बातें परखी जाएंगी, कि तुम में सच्चाई है कि नहीं। यदि सच्चे न ठहरे तब तो फिरौन के जीवन की शपथ तुम निश्चय ही भेदिए समझे जाओगे।

17. तब उसने उन को तीन दिन तक बन्दीगृह में रखा।

18. तीसरे दिन यूसुफ ने उन से कहा, एक काम करो तब जीवित रहोगे; क्योंकि मैं परमेश्वर का भय मानता हूं;

19. यदि तुम सीधे मनुष्य हो, तो तुम सब भाइयों में से एक जन इस बन्दीगृह में बन्धुआ रहे; और तुम अपने घर वालों की भूख बुझाने के लिये अन्न ले जाओ।

20. और अपने छोटे भाई को मेरे पास ले आओ; इस प्रकार तुम्हारी बातें सच्ची ठहरेंगी, और तुम मार डाले न जाओगे। तब उन्होंने वैसा ही किया।

21. उन्होंने आपस में कहा, नि:स्न्देह हम अपने भाई के विषय में दोषी हैं, क्योंकि जब उसने हम से गिड़गिड़ा के बिनती की, तौभी हम ने यह देखकर, कि उसका जीवन कैसे संकट में पड़ा है, उसकी न सुनी; इसी कारण हम भी अब इस संकट में पड़े हैं।

22. रूबेन ने उन से कहा, क्या मैं ने तुम से न कहा था, कि लड़के के अपराधी मत बनो? परन्तु तुम ने न सुना: देखो, अब उसके लोहू का पलटा दिया जाता है।

23. यूसुफ की और उनकी बातचीत जो एक दुभाषिया के द्वारा होती थी; इस से उन को मालूम न हुआ कि वह उनकी बोली समझता है।

24. तब वह उनके पास से हटकर रोने लगा; फिर उनके पास लौटकर और उन से बातचीत करके उन में से शिमोन को छांट निकाला और उसके साम्हने बन्धुआ रखा।

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