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उत्पत्ति 41:41-52 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

41. फिर फिरौन ने यूसुफ से कहा, सुन, मैं तुझ को मिस्र के सारे देश के ऊपर अधिकारी ठहरा देता हूं

42. तब फिरौन ने अपने हाथ से अंगूठी निकाल के यूसुफ के हाथ में पहिना दी; और उसको बढिय़ा मलमल के वस्त्र पहिनवा दिए, और उसके गले में सोने की जंजीर डाल दी;

43. और उसको अपने दूसरे रथ पर चढ़वाया; और लोग उसके आगे आगे यह प्रचार करते चले, कि घुटने टेककर दण्डवत करो और उसने उसको मिस्र के सारे देश के ऊपर प्रधान मंत्री ठहराया।

44. फिर फिरौन ने यूसुफ से कहा, फिरौन तो मैं हूं, और सारे मिस्र देश में कोई भी तेरी आज्ञा के बिना हाथ पांव न हिलाएगा।

45. और फिरौन ने यूसुफ का नाम सापन त्पानेह रखा। और ओन नगर के याजक पोतीपेरा की बेटी आसनत से उसका ब्याह करा दिया। और यूसुफ मिस्र के सारे देश में दौरा करने लगा।

46. जब यूसुफ मिस्र के राजा फिरौन के सम्मुख खड़ा हुआ, तब वह तीस वर्ष का था। सो वह फिरौन के सम्मुख से निकलकर मिस्र के सारे देश में दौरा करने लगा।

47. सुकाल के सातों वर्षोंमें भूमि बहुतायत से अन्न उपजाती रही।

48. और यूसुफ उन सातों वर्षों में सब प्रकार की भोजनवस्तुएं, जो मिस्र देश में होती थीं, जमा करके नगरों में रखता गया, और हर एक नगर के चारों ओर के खेतों की भोजनवस्तुओं को वह उसी नगर में इकट्ठा करता गया।

49. सो यूसुफ ने अन्न को समुद्र की बालू के समान अत्यन्त बहुतायत से राशि राशि करके रखा, यहां तक कि उसने उनका गिनना छोड़ दिया; क्योंकि वे असंख्य हो गईं।

50. अकाल के प्रथम वर्ष के आने से पहिले यूसुफ के दो पुत्र, ओन के याजक पोतीपेरा की बेटी आसनत से जन्मे।

51. और यूसुफ ने अपने जेठे का नाम यह कहके मनश्शे रखा, कि परमेश्वर ने मुझ से सारा क्लेश, और मेरे पिता का सारा घराना भुला दिया है।

52. और दूसरे का नाम उसने यह कहकर एप्रैम रखा, कि मुझे दु:ख भोगने के देश में परमेश्वर ने फुलाया फलाया है।

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