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उत्पत्ति 30:30-38 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

30. मेरे आने से पहिले वे कितने थे, और अब कितने हो गए हैं; और यहोवा ने मेरे आने पर तुझे तो आशीष दी है: पर मैं अपने घर का काम कब करने पाऊंगा?

31. उसने फिर कहा, मैं तुझे क्या दूं? याकूब ने कहा, तू मुझे कुछ न दे; यदि तू मेरे लिये एक काम करे, तो मैं फिर तेरी भेड़-बकरियों को चराऊंगा, और उनकी रक्षा करूंगा।

32. मैं आज तेरी सब भेड़-बकरियों के बीच हो कर निकलूंगा, और जो भेड़ वा बकरी चित्तीवाली वा चित्कबरी हो, और जो भेड़ काली हो, और जो बकरी चित्कबरी वा चित्तीवाली हों, उन्हें मैं अलग कर रखूंगा: और मेरी मजदूरी में वे ही ठहरेंगी।

33. और जब आगे को मेरी मजदूरी की चर्चा तेरे साम्हने चले, तब धर्म की यही साक्षी होगी; अर्थात बकरियों में से जो कोई न चित्तीवाली न चित्कबरी हो, और भेड़ों में से जो कोई काली न हो, सो यदि मेरे पास निकलें, तो चोरी की ठहरेंगी।

34. तब लाबान ने कहा, तेरे कहने के अनुसार हो।

35. सो उसने उसी दिन सब धारी वाले और चित्कबरे बकरों, और सब चित्तीवाली और चित्कबरी बकरियों को, अर्थात जिन में कुछ उजलापन था, उन को और सब काली भेड़ों को भी अलग करके अपने पुत्रों के हाथ सौंप दिया।

36. और उसने अपने और याकूब के बीच में तीन दिन के मार्ग का अन्तर ठहराया: सो याकूब लाबान की भेड़-बकरियों को चराने लगा।

37. और याकूब ने चिनार, और बादाम, और अर्मोन वृक्षों की हरी हरी छडिय़ां ले कर, उनके छिलके कहीं कहीं छील के, उन्हें धारीदार बना दिया, ऐसी कि उन छडिय़ों की सफेदी दिखाई देने लगी।

38. और तब छीली हुई छडिय़ों को भेड़-बकरियों के साम्हने उनके पानी पीने के कठौतों में खड़ा किया; और जब वे पानी पीने के लिये आई तब गाभिन हो गई।

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