17. परन्तु जब गरमी होने लगती तब उनकी धाराएं लोप हो जाती हैं, और जब कड़ी धूप पड़ती है तब वे अपनी जगह से उड़ जाते हैं
18. वे घूमते घूमते सूख जातीं, और सुनसान स्थान में बहकर नाश होती हैं।
19. तेमा के बनजारे देखते रहे और शबा के काफिले वालों ने उनका रास्ता देखा।
20. वे लज्जित हुए क्योंकि उन्होंने भरोसा रखा था और वहां पहुँचकर उनके मुंह सूख गए।
21. उसी प्रकार अब तुम भी कुछ न रहे; मेरी विपत्ति देखकर तुम डर गए हो।
22. क्या मैं ने तुम से कहा था, कि मुझे कुछ दो? वा अपनी सम्पत्ति में से मेरे लिये घूस दो?
23. वा मुझे सताने वाले के हाथ से बचाओ? वा उपद्रव करने वालों के वश से छुड़ा लो?