7. जब जब मैं नगर के फाटक की ओर चलकर खुले स्थान में अपने बैठने का स्थान तैयार करता था,
8. तब तब जवान मुझे देखकर छिप जाते, और पुरनिये उठ कर खड़े हो जाते थे।
9. हाकिम लोग भी बोलने से रुक जाते, और हाथ से मुंह मूंदे रहते थे।
10. प्रधान लोग चुप रहते थे और उनकी जीभ तालू से सट जाती थी।