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2 शमूएल 16:11-23 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

11. फिर दाऊद ने अबीशै और अपने सब कर्मचारियों से कहा, जब मेरा निज पुत्र भी मेरे प्राण का खोजी है, तो यह बिन्यामीनी अब ऐसा क्यों न करें? उसको रहने दो, और शाप देने दो; क्योंकि यहोवा ने उस से कहा है।

12. कदाचित यहोवा इस उपद्रव पर, जो मुझ पर हो रहा है, दृष्टि करके आज के शाप की सन्ती मुझे भला बदला दे।

13. तब दाऊद अपने जनों समेत अपना मार्ग चला गया, और शिमी उसके साम्हने के पहाड़ की अलंग पर से शाप देता, और उस पर पत्थर और धूलि फेंकता हुआ चला गया।

14. निदान राजा अपने संग के सब लोगों समेत अपने ठिकाने पर थका हुआ पहुंचा; और वहां विश्राम किया।

15. अबशालोम सब इस्राएली लोगों समेत यरूशलेम को आया, और उसके संग अहीतोपेल भी आया।

16. जब दाऊद का मित्र एरेकी हूशै अबशालोम के पास पहुंचा, तब हूशै ने अबशालोम से कहा, राजा चिरंजीव रहे! राजा चिरंजीव रहे!

17. अबशालोम ने उस से कहा, क्या यह तेरी प्रीति है जो तू अपने मित्र से रखता है? तू अपने मित्र के संग क्यों नहीं गया?

18. हूशै ने अबशालोम से कहा, ऐसा नहीं; जिस को यहोवा और वे लोग, क्या वरन सब इस्राएली लोग चाहें, उसी का मैं हूं, और उसी के संग मैं रहूंगा।

19. और फिर मैं किसकी सेवा करूं? क्या उसके पुत्र के साम्हने रहकर सेवा न करूं? जैसा मैं तेरे पिता के साम्हने रहकर सेवा करता था, वैसा ही तेरे साम्हने रहकर सेवा करूंगा।

20. तब अबशालोम ने अहीतोपेल से कहा, तुम लोग अपनी सम्मति दो, कि क्या करना चाहिये?

21. अहीतोपेल ने अबशालोम से कहा, जिन रखेलियों को तेरा पिता भवन की चौकसी करने को छोड़ गया, उनके पास तू जा; और जब सब इस्राएली यह सुनेंगे, कि अबशालोम का पिता उस से घिन करता है, तब तेरे सब संगी हियाव बान्धेंगे।

22. सो उसके लिये भवन की छत के ऊपर एक तम्बू खड़ा किया गया, और अबशालोम समस्त इस्राएल के देखते अपने पिता की रखेलियों के पास गया।

23. उन दिनों जो सम्मति अहीतोपेल देता था, वह ऐसी होती थी कि मानो कोई परमेश्वर का वचन पूछ लेता हो; अहीतोपेल चाहे दाऊद को चाहे अबशलोम को, जो जो सम्मति देता वह ऐसी ही होती थी।

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