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2 राजा 4:10-25 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

10. तो हम भीत पर एक छोटी उपरौठी कोठरी बनाएं, और उस में उसके लिये एक खाट, एक मेज, एक कुसीं और एक दीवट रखें, कि जब जब वह हमारे यहां आए, तब तब उसी में टिका करे।

11. एक दिन की बात है, कि वह वहां जा कर उस उपरौठी कोठरी में टिका और उसी में लेट गया।

12. और उसने अपने सेवक गेहजी से कहा, उस शुनेमिन को बुला ले। उसके बुलाने से वह उसके साम्हने खड़ी हुई।

13. तब उसने गेहजी से कहा, इस से कह, कि तू ने हमारे लिये ऐसी बड़ी चिन्ता की है, तो तेरे लिये क्या किया जाए? क्या तेरी चर्चा राजा, वा प्रधान सेनापति से की जाए? उसने उत्तर दिया मैं तो अपने ही लोगों में रहती हूँ।

14. फिर उसने कहा, तो इसके लिये क्या किया जाए? गेहजी ने उत्तर दिया, निश्चय उसके कोई लड़का नहीं, और उसका पति बूढ़ा है।

15. उसने कहा, उसको बुला ले। और जब उसने उसे बुलाया, तब वह द्वार में खड़ी हुई।

16. तब उसने कहा, बसन्त ऋतु में दिन पूरे होने पर तू एक बेटा छाती से लगाएगी। स्त्री ने कहा, हे मेरे प्रभु! हे परमेश्वर के भक्त ऐसा नहीं, अपनी दासी को धोखा न दे।

17. और स्त्री को गर्भ रहा, और वसन्त ऋतु का जो समय एलीशा ने उस से कहा था, उसी समय जब दिन पूरे हुए, तब उसके पुत्र उत्पन्न हुआ।

18. और जब लड़का बड़ा हो गया, तब एक दिन वह अपने पिता के पास लवने वालों के निकट निकल गया।

19. और उसने अपने पिता से कहा, आह! मेरा सिर, आह! मेरा सिर। तब पिता ने अपने सेवक से कहा, इस को इसकी माता के पास ले जा।

20. वह उसे उठा कर उसकी माता के पास ले गया, फिर वह दोपहर तक उसके घुटनों पर बैठा रहा, तब मर गया।

21. तब उसने चढ़ कर उसको परमेश्वर के भक्त की खाट पर लिटा दिया, और निकल कर किवाड़ बन्द किया, तब उतर गई।

22. और उसने अपने पति से पुकार कर कहा, मेरे पास एक सेवक और एक गदही तुरन्त भेज दे कि मैं परमेश्वर के भक्त के यहां झट पट हो आऊं।

23. उसने कहा, आज तू उसके यहां क्योंजाएगी? आज न तो नये चांद का, और न विश्राम का दिन है; उसने कहा, कल्याण होगा।

24. तब उस स्त्री ने गदही पर काठी बान्ध कर अपने सेवक से कहा, हांके चल; और मेरे कहे बिना हांकने में ढिलाई न करना।

25. तो वह चलते चलते कर्मेल पर्वत को परमेश्वर के भक्त के निकट पहुंची। उसे दूर से देखकर परमेश्वर के भक्त ने अपने सेवक गेहजी से कहा, देख, उधर तो वह शूनेमिन है।

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