6. तब उसने दूसरा पत्र लिख कर उनके पास भेजा, कि यदि तुम मेरी ओर के हो और मेरी मानो, तो अपने स्वामी के बेटों-पोतों के सिर कटवाकर कल इसी समय तक मेरे पास यिज्रैल में हाजिर होना। राजपुत्र तो जो सत्तर मतुष्य थे, वे उस नगर के रईसों के पास पलते थे।
7. यह पत्र उनके हाथ लगते ही, उन्होंने उन सत्तरों राजपुत्रों को पकड़ कर मार डाला, और उनके सिर टोकरियों में रख कर यिज्रैल को उसके पास भेज दिए।
8. और एक दूत ने उसके पास जा कर बता दिया, कि राजकुमारों के सिर आ गए हैं। तब उसने कहा, उन्हें फाटक में दो ढेर कर के बिहान तक रखो।
9. बिहान को उसने बाहर जा खड़े हो कर सब लोगों से कहा, तुम तो निर्दोष हो, मैं ने अपने स्वामी से राजद्रोह की गोष्ठी कर के उसे घात किया, परन्तु इन सभों को किस ने मार डाला?
10. अब जान लो कि जो वचन यहोवा ने अपने दास एलिय्याह के द्वारा कहा था, उसे उसने पूरा किया है; जो वचन यहोवा ने अहाब के घराने के विषय कहा, उस में से एक भी बात बिना पूरी हुए न रहेगी।