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2 इतिहास 34:1-14 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

1. जब योशिय्याह राज्य करने लगा तब वह आठ वर्ष का था, और यरूशलेम में इकतीस वर्ष तक राज्य करता रहा।

2. उसने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में ठीक है, और जिन मार्गों पर उसका मूलपुरुष दाऊद चलता रहा, उन्हीं पर वह भी चला करता था और उस से न तो दाहिनी ओर मुड़ा, और न बाईं ओर।

3. वह लड़का ही था, अर्थात उसको गद्दी पर बैठे आठ वर्ष पूरे भी न हुए थे कि अपने मूलपुरुष दाऊद के परमेश्वर की खोज करने लगा, और बारहवें वर्ष में वह ऊंचे स्थानों और अशेरा नाम मूरतों को और खुदी और ढली हुई मूरतों को दूर कर के, यहूदा और यरूशलेम को शुद्ध करने लगा।

4. और बाल देवताओं की वेदियां उसके साम्हने तोड़ डाली गई, और सूर्य की प्रतिमायें जो उनके ऊपर ऊंचे पर थी, उसने काट डालीं, और अशेरा नाम, और खुदी और ढली हुई मूरतों को उसने तोड़ कर पीस डाला, और उनकी बुकनी उन लोगों की कबरों पर छितरा दी, जो उन को बलि चढ़ाते थे।

5. और पुजारियों की हड्डियां उसने उन्हीं की वेदियों पर जलाईं। यों उसने यहूदा और यरूशलेम को शुद्ध किया।

6. फिर मनश्शे, एप्रैम और शिमोन के वरन नप्ताली तक के नगरों के खणडहरों में, उसने वेदियों को तोड़ डाला,

7. और अशेरा नाम और खुदी हुई मूरतों को पीस कर बुकनी कर डाला, और इस्राएल के सारे देश की सूर्य की सब प्रतिमाओं को काट कर यरूशलेम को लौट गया।

8. फिर अपने राज्य के अठारहवें वर्ष में जब वह देश और भवन दोनों को शुद्ध कर चुका, तब उसने असल्याह के पुत्र शापान और नगर के हाकिम मासेयाह और योआहाज के पुत्र इतिहास के लेखक योआह को अपने परमेश्वर यहोवा के भवन की मरम्मत कराने के लिये भेज दिया।

9. सो उन्होंने हिल्किय्याह महायाजक के पास जा कर जो रुपया परमेश्वर के भवन में लाया गया था, अर्थात जो लेवीय दरबानों ने मनश्शियों, एप्रैमियों और सब बचे हुए इस्राएलियों से और सब यहूदियों और बिन्यामीनियों से और यरूशलेम के निवासियों के हाथ से ले कर इकट्ठा किया था, उसको सौंप दिया।

10. अर्थात उन्होंने उसे उन काम करने वालों के हाथ सौंप दिया जो यहोवा के भवन के काम पर मुखिये थे, और यहोवा के भवन के उन काम करने वालों ने उसे भवन में जो कुछ टूटा फूटा था, उसकी मरम्मत करने में लगाया।

11. अर्थात उन्होंने उसे बढ़इयों और राजों को दिया कि वे गढ़े हुए पत्थर और जोड़ों के लिये लकड़ी मोल लें, और उन घरों को पाटें जो यहूदा के राजाओं ने नाश कर दिए थे।

12. और वे मनुष्य सच्चाई से काम करते थे, और उनके अधिकारी मरारीय, यहत और ओबद्याह, लेवीय और कहाती, जकर्याह और मशुल्लाम काम चलाने वाले और गाने-बजाने का भेद सब जानने वाले लेवीय भी थे।

13. फिर वे बोझियों के अधिकारी थे और भांति भांति की सेवकाई और काम चलाने वाले थे, और कुछ लेवीय मुंशी सरदार और दरबान थे।

14. जब वे उस रुपये को जो यहोवा के भवन में पहुंचाया गया था, निकाल रहे थे, तब हिल्किय्याह याजक को मूसा के द्वारा दी हुई यहोवा की व्यवस्था की पुस्तक मिली।

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