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2 इतिहास 32:26-33 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

26. तब हिजकिय्याह यरूशलेम के निवासियों समेत अपने मन के फूलने के कारण दीन हो गया, इसलिये यहोवा का क्रोध उन पर हिजकिय्याह के दिनों में न भड़का।

27. और हिजकिय्याह को बहुत ही धन और वैभव मिला; और उसने चान्दी, सोने, मणियों, सुगन्धद्रव्य, ढालों और सब प्रकार के मनभावने पात्रों के लिये भणडार बनवाए।

28. फिर उसने अन्न, नया दाखमधु, और टटका तेल के लिये भणडार, और सब भांति के पशुओं के लिये थान, और भेड़-बकरियों के लिये भेड़शालाएं बनवाई।

29. और उसने नगर बसाए, और बहुत ही भेड़-बकरियों और गाय-बैलों की सम्पत्ति इकट्ठा कर ली, क्योंकि परमेश्वर ने उसे बहुत ही धन दिया था।

30. उसी हिजकिय्याह ने गीहोन नाम नदी के ऊपर के सोते को पाट कर उस नदी को नीचे की ओर दाऊदपुर की पच्छिम अलंग को सीधा पहुंचाया, और हिजकिय्याह अपने सब कामों में कृतार्थ होता था।

31. तौभी जब बाबेल के हाकिमों ने उसके पास उसके देश में किए हुए चमत्कार के विषय पूछने को दूत भेजे तब परमेश्वर ने उसको इसलिये छोड़ दिया, कि उसको परख कर उसके मन का सारा भेद जान ले।

32. हिजकिय्याह के और काम, ओर उसके भक्ति के काम आमोस के पुत्र यशायाह नबी के दर्शन नाम पुस्तक में, और यहूदा और इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखे हैं।

33. अन्त में हिजकिय्याह अपने पुरखाओं के संग सो गया और उसको दाऊद की सन्तान के कब्रिस्तान की चढ़ाई पर मिट्टी दी गई, और सब यहूदियों और यरूशलेम के निवासियों ने उसकी मृत्यु पर उसका आदरमान किया। और उसका पुत्र मनश्शे उसके स्थान पर राज्य करने लगा।

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