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2 इतिहास 30:17-27 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

17. क्योंकि सभा में बहुते ऐसे थे जिन्होंने अपने को पवित्र न किया था; इसलिये सब अशुद्ध लोगों के फसह के पशुओं को बलि करने का अधिकार लेवियों को दिया गया, कि उन को यहोवा के लिये पवित्र करें।

18. बहुत से लोगों ने अर्थात एप्रैम, मनश्शे, इस्साकार और जबूलून में से बहुतों ने अपने को शुद्ध नहीं किया था, तौभी वे फसह के पशु का मांस लिखी हुई विधि के विरुद्ध खाते थे। क्योंकि हिजकिय्याह ने उनके लिये यह प्रार्थना की थी, कि यहोवा जो भला है, वह उन सभों के पाप ढांप दे;

19. जो परमेश्वर की अर्थात अपने पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा की खोज में मन लगाए हुए हैं, चाहे वे पवित्र स्थान की विधि के अनुसार शुद्ध न भी हों।

20. और यहोवा ने हिजकिय्याह की यह प्रार्थना सुन कर लोगों को चंगा किया।

21. और जो इस्राएली यरूशलेम में उपस्थित थे, वे सात दिन तक अखमीरी रोटी का पर्व्व बड़े आनन्द से मनाते रहे; और प्रतिदिन लेवीय और याजक ऊंचे शब्द के बाजे यहोवा के लिये बजा कर यहोवा की स्तुति करते रहे।

22. और जितने लेवीय यहोवा का भजन बुद्धिमानी के साथ करते थे, उन को हिजकिय्याह ने शान्ति के वचन कहे। इस प्रकार वे मेलबलि चढ़ा कर और अपने पुर्वजों के परमेश्वर यहोवा के सम्मुख पापांगीकार करते रहे और उस नियत पर्व्व के सातों दिन तक खाते रहे।

23. तब सारी सभा ने सम्मति की कि हम और सात दिन पर्व्व मानेंगे; सो उन्होंने और सात दिन आनन्द से पर्व्व मनाया।

24. क्योंकि यहूदा के राजा हिजकिय्याह ने सभा को एक हजार बछड़े और सात हजार भेड़-बकरियां दे दीं, और हाकिमों ने सभा को एक हजार बछड़े और दस हजार भेड़-बकरियां दीं, और बहुत से याजकों ने अपने को पवित्र किया।

25. तब याजकों और लेवियों समेत यहूदा की सारी सभा, और इस्राएल से आए हुओं की सभा, और इस्राएल के देश से आए हुए, और यहूदा में रहने वाले परदेशी, इन सभों ने आनन्द किया।

26. सो यरूशलेम में बड़ा आनन्द हुआ, क्योंकि दाऊद के पुत्र इस्राएल के राजा सुलैमान के दिनों से ऐसी बात यरूशलेम में न हुई थी।

27. अन्त में लेवीय याजकों ने खड़े हो कर प्रजा को आशीर्वाद दिया, और उनकी सुनी गई, और उनकी प्रार्थना उसके पपित्र धाम तक अर्थात स्वर्ग तक पहुंची।

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