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2 इतिहास 20:14-25 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

14. तब आसाप के वंश में से यहजीएल नाम एक लेवीय जो जकर्याह का पुत्र और बनायाह का पोता और मत्तन्याह के पुत्र यीएल का परपोता था, उस में मण्डली के बीच यहोवा का आत्मा समाया।

15. और वह कहने लगा, हे सब यहूदियो, हे यरूशलेम के रहनेवालो, हे राजा यहोशापात, तुम सब ध्यान दो; यहोवा तुम से यों कहता है, तुम इस बड़ी भीड़ से मत डरो और तुम्हारा मन कच्चा न हो; क्योंकि युद्ध तुम्हारा नहीं, परमेश्वर का है।

16. कल उनका साम्हना करने को जाना। देखो वे सीस की चढ़ाई पर चढ़े आते हैं और यरूएल नाम जंगल के साम्हने नाले के सिरे पर तुम्हें मिलेंगे।

17. इस लड़ाई में तुम्हें लड़ना न होगा; हे यहूदा, और हे यरूशलेम, ठहरे रहना, और खड़े रह कर यहोवा की ओर से अपना बचाव देखना। मत डरो, और तुम्हारा मन कच्चा न हो; कल उनका साम्हना करने को चलना और यहोवा तुम्हारे साथ रहेगा।

18. तब यहोशापात भूमि की ओर मुंह कर के झुका और सब यहूदियों और यरूशलेम के निवासियों ने यहोवा के साम्हने गिर के यहोवा को दण्डवत किया।

19. और कहातियों और कोरहियों में से कुछ लेवीय खड़े हो कर इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की स्तुति अत्यन्त ऊंचे स्वर से करने लगे।

20. बिहान को वे सबेरे उठ कर तकोआ के जंगल की ओर निकल गए; और चलते समय यहोशापात ने खड़े हो कर कहा, हे यहूदियो, हे यरूशलेम के निवासियो, मेरी सुनो, अपने परमेश्वर यहोवा पर विश्वास रखो, तब तुम स्थिर रहोगे; उसके नबियों की प्रतीत करो, तब तुम कृतार्थ हो जाओगे।

21. तब उसने प्रजा के साथ सम्मति कर के कितनों को ठहराया, जो कि पवित्रता से शोभायमान हो कर हथियारबन्दों के आगे आगे चलते हुए यहोवा के गीत गाएं, और यह कहते हुए उसकी स्तुति करें, कि यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि उसकी करुणा सदा की है।

22. जिस समय वे गाकर स्तुति करने लगे, उसी समय यहोवा ने अम्मोनियों, मोआबियों और सेईर के पहाड़ी देश के लोगों पर जो यहूदा के विरुद्ध आ रहे थे, घातकों को बैठा दिया और वे मारे गए।

23. क्योंकि अम्मोनियों और मोआबियों ने सेईर के पहाड़ी देश के निवासियों डराने और सत्यानाश करने के लिये उन पर चढ़ाई की, और जब वे सेईर के पहाड़ी देश के निवासियों का अन्त कर चुके, तब उन सभों ने एक दूसरे के नाश करने में हाथ लगाया।

24. सो जब यहूदियों ने जंगल की चौकी पर पहुंच कर उस भीड़ की ओर दृष्टि की, तब क्या देख कि वे भूमि पर पड़ी हुई लोथ हैं; और कोई नहीं बचा।

25. तब यहोशापात और उसकी प्रजा लूट लेने को गए और लोथों के बीच बहुत सी सम्पत्ति और मनभावने गहने मिले; उन्होंने इतने गहने उतार लिये कि उन को न ले जा सके, वरन लूट इतनी मिली, कि बटोरते बटोरते तीन दिन बीत गए।

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