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1 राजा 7:5-16 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

5. और सब द्वार और बाजुओं की कडिय़ां भी चौकोर थी, और तीनों महलों में खिड़कियां आम्हने साम्हने बनीं।

6. और उसने एक खम्भेवाला ओसारा भी बनाया जिसकी लम्बाई पचास हाथ और चौड़ाई तीस हाथ की थी, और इन खम्भों के साम्हने एक खम्भे वाला ओसारा और उसके साम्हने डेवढ़ी बनाई।

7. फिर उसने न्याय के सिंहासन के लिये भी एक ओसारा बनाया, जो न्याय का ओसारा कहलाया; और उस में ऐक फ़र्श से दूसरे फ़र्श तक देवदारु की तख्ताबन्दी थी।

8. और उसी के रहने का भवन जो उस ओसारे के भीतर के एक और आंगन में बना, वह भी उसी ढब से बना। फिर उसी ओसारे के ढब से सुलैमान ने फ़िरौन की बेटी के लिये जिस को उसने ब्याह लिया था, एक और भवन बनाया।

9. ये सब घर बाहर भीतर नेव से मुंढेर तक ऐसे अनमोल और गढ़े हुए पत्थरों के बने जो नापकर, और आरों से चीरकर तैयार किये गए थे और बाहर के आंगन से ले बड़े आंगन तक लगाए गए।

10. उसकी नेव तो बड़े मोल के बड़े बड़े अर्थात दस दस और आठ आठ हाथ के पत्थरों की डाली गई थी।

11. और ऊपर भी बड़े मोल के पत्थर थे, जो नाप से गढ़े हुए थे, और देवदारु की लकड़ी भी थी।

12. और बड़े आंगन के चारों ओर के घेरे में गढ़े हुए पत्थरों के तीन रद्दे, और देवदारु की कडिय़ों का एक परत था, जैसे कि यहोवा के भवन के भीतर वाले आंगन और भवन के ओसारे में लगे थे।

13. फिर राजा सुलैमान ने सोर से हीराम को बुलवा भेजा।

14. वह नप्ताली के गोत्र की किसी विधवा का बेटा था, और उसका पिता एक सोरवासी ठठेरा था, और वह पीतल की सब प्रकार की कारीगरी में पूरी बुद्धि, निपुणता और समझ रखता था। सो वह राजा सुलैमान के पास आकर उसका सब काम करने लगा।

15. उसने पीतल ढालकर अठारह अठारह हाथ ऊंचे दो खम्भे बनाए, और एक एक का घेरा बारह हाथ के सूत का था।

16. और उसने खम्भों के सिरों पर लगाने को पीतल ढालकर दो कंगनी बनाईं; एक एक कंगनी की ऊंचाई, पांच पांच हाथ की थी।

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