पुराना विधान

नया विधान

1 इतिहास 29:15-21 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

15. तेरी दृष्टि में हम तो अपने सब पुरखाओं की नाईं पराए और परदेशी हैं; पृथ्वी पर हमारे दिन छाया की नाईं बीते जाते हैं, और हमारा कुछ ठिकाना नहीं।

16. हे हमारे परमेश्वर यहोवा! वह जो बड़ा संचय हम ने तेरे पवित्र नाम का एक भवन बनाने के लिये किया है, वह तेरे ही हाथ से हमे मिला था, और सब तेरा ही है।

17. और हे मेरे परमेश्वर! मैं जानता हूँ कि तू मन को जांचता है और सिधाई से प्रसन्न रहता है; मैं ने तो यह सब कुछ मन की सिधाई और अपनी इच्छा से दिया है; और अब मैं ने आनन्द से देखा है, कि तेरी प्रजा के लोग जो यहां उपस्थित हैं, वह अपनी इच्छा से तेरे लिये भेंट देते हैं।

18. हे यहोवा! हे हमारे पुरखा इब्राहीम, इसहाक और इस्राएल के परमेश्वर! अपनी प्रजा के मन के विचारों में यह बात बनाए रख और उनके मन अपनी ओर लगाए रख।

19. और मेरे पुत्र सुलैमान का मन ऐसा खरा कर दे कि वह तेरी आज्ञाओं चितौनियों और विधियों को मानता रहे और यह सब कुछ करे, और उस भवन को बनाए, जिसकी तैयारी मैं ने की है।

20. तब दाऊद ने सारी सभा से कहा, तुम अपने परमेश्वर यहोवा का धन्यवाद करो। तब सभा के सब लोगों ने अपने पितरों के परमेश्वर यहोवा का धन्यवाद किया, और अपना अपना सिर झुका कर यहोवा को और राजा को दण्डवत किया।

21. और दूसरे दिन उन्होंने यहोवा के लिये बलिदान किए, अर्थात अर्घों समेत एक हजार बैल, एक हजार मेढ़े और एक हजार भेड़ के बच्चे होमबलि कर के चढ़ाए, और सब इस्राएल के लिये बहुत से मेलबलि चढ़ाए। उसी दिन यहोवा के साम्हने उन्होंने बड़े आनन्द से खाया और पिया।

पूरा अध्याय पढ़ें 1 इतिहास 29