4. तब सब इस्राएलियों समेत दाऊद यरूशलेम गया, जो यबूस भी कहलाता था, और वहां यबूसी नाम उस देश के निवासी रहते थे।
5. तब यबूस के निवासियों ने दाऊद से कहा, तू यहां आने नहीं पाएगा। तौभी दाऊद ने सिय्योन नाम गढ़ को ले लिया, वही दाऊदपुर भी कहलाता है।
6. और दाऊद ने कहा, जो कोई यबूसियों को सब से पहिले मारेगा, वह मुख्य सेनापति होगा, तब सरूयाह का पुत्र योआब सब से पहिले चढ़ गया, और सेनापति बन गया।
7. और दाऊद उस गढ़ में रहने लगा, इसलिये उसका नाम दाऊदपुर पड़ा।
8. और उसने नगर के चारों ओर, अर्थात मिल्लो से ले कर चारों ओर शहरपनाह बनवाई, और योआब ने शेष नगर के खष्डहरों को फिर बसाया।
9. और दाऊद की प्रतिष्ठा अधिक बढ़ती गई और सेनाओं का यहोवा उसके संग था।
10. यहोवा ने इस्राएल के विष्य जो वचन कहा था, उसके अनुसार दाऊद के जिन शूरवीरों ने सब इस्राएलियों समेत उसके राज्य में उसके पक्ष में हो कर, उसे राजा बनाने को ज़ोर दिया, उन में से मुख्य पुरुष थे हैं।
11. दाऊद के शूरवीरों की नामावली यह है, अर्थात किसी हक्मोनी का पुत्र याशोबाम जो तीसों में मुखय था, उसने तीन सौ पुरुषों पर भाला चला कर, उन्हें एक ही समय में मार डाला।
12. उसके बाद अहोही दोदो का पुत्र एलीआज़र जो तीनों महान वीरों में से एक था।
13. वह पसदम्मीम में जहां जव का एक खेत था, दाऊद के संग रहा जब पलिश्ती वहां युद्ध करने को इकट्ठे हुए थे, और लोग पलिश्तियों के साम्हने से भाग गए।
14. तब उन्होंने उस खेत के बीच में खड़े हो कर उसकी रक्षा की, और पलिश्तियों को मारा, और यहोवा ने उनका बड़ा उद्धार किया।
15. और तीसों मुख्य पुरुषों में से तीन दाऊद के पास चट्टान को, अर्थात अदुल्लाम नाम गुफा में गए, और पलिश्तियों की छावनी रपाईम नाम तराई में पड़ी हुई थी।
16. उस समय दाऊद गढ़ में था, और उस समय पलिश्तियों की एक चौकी बेतलेहेम में थी।
17. तब दाऊद ने बड़ी अभिलाषा के साथ कहा, कौन मुझे बेतलेहेम के फाटक के पास के कुएं का पानी पिलाएगा।