5. अब मैं अपने भेजने वाले के पास जाता हूं और तुम में से कोई मुझ से नहीं पूछता, कि तू कहां जाता है?
6. परन्तु मैं ने जो ये बातें तुम से कही हैं, इसलिये तुम्हारा मन शोक से भर गया।
7. तौभी मैं तुम से सच कहता हूं, कि मेरा जाना तुम्हारे लिये अच्छा है, क्योंकि यदि मैं न जाऊं, तो वह सहायक तुम्हारे पास न आएगा, परन्तु यदि मैं जाऊंगा, तो उसे तुम्हारे पास भेज दूंगा।
8. और वह आकर संसार को पाप और धामिर्कता और न्याय के विषय में निरूत्तर करेगा।
9. पाप के विषय में इसलिये कि वे मुझ पर विश्वास नहीं करते।
10. और धामिर्कता के विषय में इसलिये कि मैं पिता के पास जाता हूं,