3. यदि मैं उन्हें भूखा घर भेज दूं, तो मार्ग में थक कर रह जाएंगे; क्योंकि इन में से कोई कोई दूर से आए हैं।
4. उसके चेलों ने उस को उत्तर दिया, कि यहां जंगल में इतनी रोटी कोई कहां से लाए कि ये तृप्त हों?
5. उस ने उन से पूछा; तुम्हारे पास कितनी रोटियां हैं? उन्होंने कहा, सात।
6. तब उस ने लोगों को भूमि पर बैठने की आज्ञा दी, और वे सात रोटियां लीं, और धन्यवाद करके तोड़ीं, और अपने चेलों को देता गया कि उन के आगे रखें, और उन्होंने लोगों के आगे परोस दिया
7. उन के पास थोड़ी सी छोटी मछिलयां भी थीं; और उसने धन्यवाद करके उन्हें भी लोगों के आगे रखने की आज्ञा दी।
8. सो वे खाकर तृप्त हो गए और शेष टृकड़ों के सात टोकरे भरकर उठाए।
9. और लोग चार हजार के लगभग थे; और उस ने उन को विदा किया।
10. और वह तुरन्त अपने चेलों के साथ नाव पर चढ़कर दलमनूता देश को चला गया॥