11. और अशुद्ध आत्माएं भी, जब उसे देखती थीं, तो उसके आगे गिर पड़ती थीं, और चिल्लाकर कहती थीं कि तू परमेश्वर का पुत्र है।
12. और उस ने उन्हें बहुत चिताया, कि मुझे प्रगट न करना॥
13. फिर वह पहाड़ पर चढ़ गया, और जिन्हें वह चाहता था उन्हें अपने पास बुलाया; और वे उसके पास चले आए।
14. तब उस ने बारह पुरूषों को नियुक्त किया, कि वे उसके साथ साथ रहें, और वह उन्हें भेजे, कि प्रचार करें।
15. और दुष्टात्माओं के निकालने का अधिकार रखें।
16. और वे ये हैं: शमौन जिस का नाम उस ने पतरस रखा।
17. और जब्दी का पुत्र याकूब, और याकूब का भाई यूहन्ना, जिनका नाम उस ने बूअनरिगस, अर्थात गर्जन के पुत्र रखा।
18. और अन्द्रियास, और फिलेप्पुस, और बरतुल्मै, और मत्ती, और थोमा, और हलफई का पुत्र याकूब; और तद्दी, और शमौन कनानी।
19. और यहूदा इस्करियोती, जिस ने उसे पकड़वा भी दिया॥
20. और वह घर में आया: और ऐसी भीड़ इकट्ठी हो गई, कि वे रोटी भी न खा सके।
21. जब उसके कुटुम्बियों ने यह सुना, तो उसे पकड़ने के लिये निकले; क्योंकि कहते थे, कि उसका चित्त ठिकाने नहीं है।
22. और शास्त्री जो यरूशलेम से आए थे, यह कहते थे, कि उस में शैतान है, और यह भी, कि वह दुष्टात्माओं के सरदार की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता है।