33. और सारा नगर द्वार पर इकट्ठा हुआ।
34. और उस ने बहुतों को जो नाना प्रकार की बीमारियों से दुखी थे, चंगा किया; और बहुत से दुष्टात्माओं को निकाला; और दुष्टात्माओं को बोलने न दिया, क्योंकि वे उसे पहचानती थीं॥
35. और भोर को दिन निकलने से बहुत पहिले, वह उठकर निकला, और एक जंगली स्थान में गया और वहां प्रार्थना करने लगा।
36. तब शमौन और उसके साथी उस की खोज में गए।
37. जब वह मिला, तो उस से कहा; कि सब लोग तुझे ढूंढ रहे हैं।