2. वह चालीस दिन, और चालीस रात, निराहार रहा, अन्त में उसे भूख लगी।
3. तब परखने वाले ने पास आकर उस से कहा, यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो कह दे, कि ये पत्थर रोटियां बन जाएं।
4. उस ने उत्तर दिया; कि लिखा है कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा।
5. तब इब्लीस उसे पवित्र नगर में ले गया और मन्दिर के कंगूरे पर खड़ा किया।
6. और उस से कहा यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को नीचे गिरा दे; क्योंकि लिखा है, कि वह तेरे विषय में अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा; और वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे; कहीं ऐसा न हो कि तेरे पांवों में पत्थर से ठेस लगे।
7. यीशु ने उस से कहा; यह भी लिखा है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न कर।
8. फिर शैतान उसे एक बहुत ऊंचे पहाड़ पर ले गया और सारे जगत के राज्य और उसका विभव दिखाकर
9. उस से कहा, कि यदि तू गिरकर मुझे प्रणाम करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूंगा।
10. तब यीशु ने उस से कहा; हे शैतान दूर हो जा, क्योंकि लिखा है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर।
11. तब शैतान उसके पास से चला गया, और देखो, स्वर्गदूत आकर उस की सेवा करने लगे॥
12. जब उस ने यह सुना कि यूहन्ना पकड़वा दिया गया, तो वह गलील को चला गया।
13. और नासरत को छोड़कर कफरनहूम में जो झील के किनारे जबूलून और नपताली के देश में है जाकर रहने लगा।