7. हे कपटियों, यशायाह ने तुम्हारे विषय में यह भविष्यद्वाणी ठीक की।
8. कि ये लोग होठों से तो मेरा आदर करते हैं, पर उन का मन मुझ से दूर रहता है।
9. और ये व्यर्थ मेरी उपासना करते हैं, क्योंकि मनुष्यों की विधियों को धर्मोपदेश करके सिखाते हैं।
10. और उस ने लोगों को अपने पास बुलाकर उन से कहा, सुनो; और समझो।
11. जो मुंह में जाता है, वह मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता, पर जो मुंह से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है।
12. तब चेलों ने आकर उस से कहा, क्या तू जानता है कि फरीसियों ने यह वचन सुनकर ठोकर खाई?
13. उस ने उत्तर दिया, हर पौधा जो मेरे स्वर्गीय पिता ने नहीं लगाया, उखाड़ा जाएगा।