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प्रेरितों के काम 25:10-21 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

10. पौलुस ने कहा; मैं कैसर के न्याय आसन के साम्हने खड़ा हूं: मेरे मुकद्दमें का यहीं फैसला होना चाहिए: जैसा तू अच्छी तरह जानता है, यहूदियों का मैं ने कुछ अपराध नहीं किया।

11. यदि अपराधी हूं और मार डाले जाने योग्य कोई काम किया है; तो मरने से नहीं मुकरता; परन्तु जिन बातों का ये मुझ पर दोष लगाते हैं, यदि उन में से कोई बात सच न ठहरे, तो कोई मुझे उन के हाथ नहीं सौंप सकता: मैं कैसर की दोहाई देता हूं।

12. तब फेस्तुस ने मन्त्रियों की सभा के साथ बातें करके उत्तर दिया, तू ने कैसर की दोहाई दी है, तू कैसर के पास जाएगा॥

13. और कुछ दिन बीतने के बाद अग्रिप्पा राजा और बिरनीके ने कैसरिया में आकर फेस्तुस से भेंट की।

14. और उन के बहुत दिन वहां रहने के बाद फेस्तुस ने पौलुस की कथा राजा को बताई; कि एक मनुष्य है, जिसे फेलिक्स बन्धुआ छोड़ गया है।

15. जब मैं यरूशलेम में था, तो महायाजक और यहूदियों के पुरनियों ने उस की नालिश की; और चाहा, कि उस पर दण्ड की आज्ञा दी जाए।

16. परन्तु मैं ने उन को उत्तर दिया, कि रोमियों की यह रीति नहीं, कि किसी मनुष्य को दण्ड के लिये सौंप दें, जब तक मुद्दाअलैह को अपने मुद्दइयों के आमने सामने खड़े होकर दोष के उत्तर देने का अवसर न मिले।

17. सो जब वे यहां इकट्ठे हुए, तो मैं ने कुछ देर न की, परन्तु दूसरे ही दिन न्याय आसन पर बैठकर, उस मनुष्य को लाने की आज्ञा दी।

18. जब उसके मुद्दई खड़े हुए, तो उन्होंने ऐसी बुरी बातों का दोष नहीं लगाया, जैसा मैं समझता था।

19. परन्तु अपने मत के, और यीशु नाम किसी मनुष्य के विषय में जो मर गया था, और पौलुस उस को जीवित बताता था, विवाद करते थे।

20. और मैं उलझन में था, कि इन बातों का पता कैसे लगाऊं इसलिये मैं ने उस से पूछा, क्या तू यरूशलेम जाएगा, कि वहां इन बातों का फैसला हो?

21. परन्तु जब पौलुस ने दोहाई दी, कि मेरे मुकद्दमें का फैसला महाराजाधिराज के यहां हो; तो मैं ने आज्ञा दी, कि जब तक उसे कैसर के पास न भेजूं, उस की रखवाली की जाए।

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