19. और आपस में भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाया करो, और अपने अपने मन में प्रभु के साम्हने गाते और कीर्तन करते रहो।
20. और सदा सब बातों के लिये हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम से परमेश्वर पिता का धन्यवाद करते रहो।
21. और मसीह के भय से एक दूसरे के आधीन रहो॥
22. हे पत्नियों, अपने अपने पति के ऐसे आधीन रहो, जैसे प्रभु के।