15. इसलिये ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो; निर्बुद्धियों की नाईं नहीं पर बुद्धिमानों की नाईं चलो।
16. और अवसर को बहुमोल समझो, क्योंकि दिन बुरे हैं।
17. इस कारण निर्बुद्धि न हो, पर ध्यान से समझो, कि प्रभु की इच्छा क्या है?
18. और दाखरस से मतवाले न बनो, क्योंकि इस से लुचपन होता है, पर आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ।