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इफिसियों 3:3-21 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

3. अर्थात यह, कि वह भेद मुझ पर प्रकाश के द्वारा प्रगट हुआ, जैसा मैं पहिले संक्षेप में लिख चुका हूं।

4. जिस से तुम पढ़ कर जान सकते हो, कि मैं मसीह का वह भेद कहां तक समझता हूं।

5. जो और और समयों में मनुष्यों की सन्तानों को ऐसा नहीं बताया गया था, जैसा कि आत्मा के द्वारा अब उसके पवित्र प्रेरितों और भविष्यद्वक्ताओं पर प्रगट किया गया है।

6. अर्थात यह, कि मसीह यीशु में सुसमाचार के द्वारा अन्यजातीय लाग मीरास में साझी, और एक ही देह के और प्रतिज्ञा के भागी हैं।

7. और मैं परमेश्वर के अनुग्रह के उस दान के अनुसार, जो उसकी सामर्थ के प्रभाव के अनुसार मुझे दिया गया, उस सुसमाचार का सेवक बना।

8. मुझ पर जो सब पवित्र लोगों में से छोटे से भी छोटा हूं, यह अनुग्रह हुआ, कि मैं अन्यजातियों को मसीह के अगम्य धन का सुसमाचार सुनाऊं।

9. और सब पर यह बात प्रकाशित करूं, कि उस भेद का प्रबन्ध क्या है, जो सब के सृजनहार परमेश्वर में आदि से गुप्त था।

10. ताकि अब कलीसिया के द्वारा, परमेश्वर का नाना प्रकार का ज्ञान, उन प्रधानों और अधिकारियों पर, जो स्वर्गीय स्थानों में हैं प्रगट किया जाए।

11. उस सनातन मनसा के अनुसार, जो उस ने हमारे प्रभु मसीह यीशु में की थी।

12. जिस में हम को उस पर विश्वास रखने से हियाव और भरोसे से निकट आने का अधिकार है।

13. इसलिये मैं बिनती करता हूं कि जो क्लेश तुम्हारे लिये मुझे हो रहे हैं, उनके कारण हियाव न छोड़ो, क्योंकि उन में तुम्हारी महिमा है॥

14. मैं इसी कारण उस पिता के साम्हने घुटने टेकता हूं,

15. जिस से स्वर्ग और पृथ्वी पर, हर एक घराने का नाम रखा जाता है।

16. कि वह अपनी महिमा के धन के अनुसार तुम्हें यह दान दे, कि तुम उसके आत्मा से अपने भीतरी मनुष्यत्व में सामर्थ पाकर बलवन्त होते जाओ।

17. और विश्वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में बसे कि तुम प्रेम में जड़ पकड़ कर और नेव डाल कर।

18. सब पवित्र लोगों के साथ भली भांति समझने की शक्ति पाओ; कि उसकी चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊंचाई, और गहराई कितनी है।

19. और मसीह के उस प्रेम को जान सको जो ज्ञान से परे है, कि तुम परमेश्वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण हो जाओ॥

20. अब जो ऐसा सामर्थी है, कि हमारी बिनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है, उस सामर्थ के अनुसार जो हम में कार्य करता है,

21. कलीसिया में, और मसीह यीशु में, उस की महिमा पीढ़ी से पीढ़ी तक युगानुयुग होती रहे। आमीन॥

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