15. और इस भरोसे से मैं चाहता था कि पहिले तुम्हारे पास आऊं; कि तुम्हें एक और दान मिले।
16. और तुम्हारे पास से होकर मकिदुनिया को जाऊं और फिर मकिदूनिया से तुम्हारे पास आऊँ, और तुम मुझे यहूदिया की ओर कुछ दूर तक पहुंचाओ।
17. इसलिये मैं ने जो यह इच्छा की थी तो क्या मैं ने चंचलता दिखाई? या जो करना चाहता हूं क्या शरीर के अनुसार करना चाहता हूं, कि मैं बात में हां, हां भी करूं; और नहीं, नहीं भी करूं?
18. परमेश्वर सच्चा गवाह है, कि हमारे उस वचन में जो तुम से कहा हां और नहीं दानों पाई नहीं जातीं।