परन्तु सब को यह ज्ञान नही; परन्तु कितने तो अब तक मूरत को कुछ समझने के कारण मूरतों के साम्हने बलि की हुई को कुछ वस्तु समझकर खाते हैं, और उन का विवेक निर्बल होकर अशुद्ध होता है।