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1 कुरिन्थियों 14:18-30 हिंदी पवित्र बाइबल (HHBD)

18. मैं अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं, कि मैं तुम सब से अधिक अन्य अन्य भाषा में बोलता हूं।

19. परन्तु कलीसिया में अन्य भाषा में दस हजार बातें कहने से यह मुझे और भी अच्छा जान पड़ता है, कि औरों के सिखाने के लिये बुद्धि से पांच ही बातें कहूं॥

20. हे भाइयो, तुम समझ में बालक न बनो: तौभी बुराई में तो बालक रहो, परन्तु समझ में सियाने बनो।

21. व्यवस्था में लिखा है, कि प्रभु कहता है; मैं अन्य भाषा बोलने वालों के द्वारा, और पराए मुख के द्वारा इन लोगों से बात करूंगा तौभी वे मेरी न सुनेंगे।

22. इसलिये अन्य अन्य भाषाएं विश्वासियों के लिये नहीं, परन्तु अविश्वासियों के लिये चिन्ह हैं, और भविष्यद्वाणी अविश्वासीयों के लिये नहीं परन्तु विश्वासियों के लिये चिन्ह हैं।

23. सो यदि कलीसिया एक जगह इकट्ठी हो, और सब के सब अन्य अन्य भाषा बोलें, और अनपढ़े या अविश्वासी लोग भीतर आ जाएं तो क्या वे तुम्हें पागल न कहेंगे?

24. परन्तु यदि सब भविष्यद्वाणी करने लगें, और कोई अविश्वासी या अनपढ़ा मनुष्य भीतर आ जाए, तो सब उसे दोषी ठहरा देंगे और परखलेंगे।

25. और उसके मन के भेद प्रगट हो जाएंगे, और तब वह मुंह के बल गिरकर परमेश्वर को दण्डवत करेगा, और मान लेगा, कि सचमुच परमेश्वर तुम्हारे बीच में है।

26. इसलिये हे भाइयो क्या करना चाहिए? जब तुम इकट्ठे होते हो, तो हर एक के हृदय में भजन, या उपदेश, या अन्यभाषा, या प्रकाश, या अन्यभाषा का अर्थ बताना रहता है: सब कुछ आत्मिक उन्नति के लिये होना चाहिए।

27. यदि अन्य भाषा में बातें करनीं हों, तो दो दो, या बहुत हो तो तीन तीन जन बारी बारी बोलें, और एक व्यक्ति अनुवाद करे।

28. परन्तु यदि अनुवाद करने वाला न हो, तो अन्य भाषा बालने वाला कलीसिया में शान्त रहे, और अपने मन से, और परमेश्वर से बातें करे।

29. भविष्यद्वक्ताओं में से दो या तीन बोलें, और शेष लोग उन के वचन को परखें।

30. परन्तु यदि दूसरे पर जो बैठा है, कुछ ईश्वरीय प्रकाश हो, तो पहिला चुप हो जाए।

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