18. परन्तु सचमुच परमेश्वर ने अंगो को अपनी इच्छा के अनुसार एक एक कर के देह में रखा है।
19. यदि वे सब एक ही अंग होते, तो देह कहां होती?
20. परन्तु अब अंग तो बहुत से हैं, परन्तु देह एक ही है।
21. आंख हाथ से नहीं कह सकती, कि मुझे तेरा प्रयोजन नहीं, और न सिर पांवों से कह सकता है, कि मुझे तुम्हारा प्रयोजन नहीं।