30. तब उसने अपने सेवकों से कहा, सुनो, योआब का एक खेत मेरी भूमि के निकट है, और उस में उसका जव खड़ा है; तुम जा कर उस में आग लगाओ। और अबशालोम के सेवकों ने उस खेत में आग लगा दी।
31. तब योआब उठा, और अबशालोम के घर में उसके पास जा कर उस से पूछने लगा, तेरे सेवकों ने मेरे खेत में क्यों आग लगाई है?
32. अबशालोम ने योआब से कहा, मैं ने तो तेरे पास यह कहला भेजा था, कि यहां आना कि मैं तुझे राजा के पास यह कहने को भेजूं, कि मैं गशूर से क्यों आया? मैं अब तक वहां रहता तो अच्छा होता। इसलिये अब राजा मुझे दर्शन दे; और यदि मैं दोषी हूं, तो वह मुझे मार डाले।
33. तो योआब ने राजा के पास जा कर उसको यह बात सुनाईं; और राजा ने अबशालोम को बुलवाया। और वह उसके पास गया, और उसके सम्मुख भूमि पर मुंह के बल गिरके दण्डवत् की; और राजा ने अबशालोम को चूमा।